जोहार क्षेत्र का प्रवेश द्वार है मुनस्यारी
मुनस्यारी को जोहार क्षेत्र का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है | मुनस्यारी का शाब्दिक अर्थ है "मुनि का सेरा", कहा जाता है कि शायद तपस्वियों का तपस्थल होने के कारण इसका नाम मुनस्यारी पड़ा होगा | उत्तराखंड का यह छोटा सा किन्तु खूबसूरत हिल स्टेशन पिथौरागढ़ से 165 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है | इस हिल स्टेशन से पंचाचोली तथा त्रिशूल पर्वतों के साथ-साथ नैनीताल की चोटियाँ भी दिखाई देती हैं | मिलम, नामिक तथा रालम जैसे विश्वप्रसिद्ध ग्लेशियरों का रास्ता भी यहीं से होकर गुजरता है |
समुद्रतल से लगभग 2300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मुनस्यारी शरद ऋतु में बर्फ की मोटी सफ़ेद चादर से ढका रहता है, और इस समय यह बहुत खूबसूरत दिखाई देता है | शैलानियों की अधिकांशतः भीड़ यहाँ गर्मियों के मौसम में होती है, क्योंकि गर्मी के सीजन में यहाँ का मौसम अत्यधिक सुहावना रहता है और उस समय भी पर्यटक यहाँ पर सर्दी का अनुभव करते हैं |
मुनस्यारी जाकर कहाँ घूमें ?
वैसे तो मुनस्यारी खुद में ही एक खुबसूरत स्थान है, जो अपनी प्राकृतिक सौन्दर्यता से प्रत्येक पर्यटक के दिल में घर कर लेता है, क्योंकि यहाँ से चरों तरफ का नजारा बहुत सुन्दर दिखाई देता है | बर्फ की सफ़ेद चादर से ढके ऊँचे-ऊँचे पहाड़ आँखों को शान्ति प्रदान करते हैं | किन्तु यदि आप मुनस्यारी थोड़े ज्यादा समय के लिए आये हैं या आने का प्लान बना रहे हैं तो इसके आस-पास कुछ ऐसे पर्यटन स्थल हैं जहाँ आपको अवश्य घूमना चाहिए |
बिर्थी फॉल
मुनस्यारी मुख्य शहर से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर बिर्थी जलप्रपात उत्तराखंड राज्य को प्रकृति का एक नायाब तोहफा है | 400 फीट की ऊँचाई से बिर्थी जलप्रपात का गिरता मोतियों सा सफ़ेद पानी बहुत ख़ूबसूरत प्रतीत होता है | मुनस्यारी आने वाले देशी तथा विदेशी पर्यटक इस स्थान पर आकर मन की शान्ति का अनुभव करते हैं | यदि आप पिथौरागढ़ से मुनस्यारी की ओर सफ़र कर रहे हैं तो यह जलप्रपात आपको मुनस्यारी से 35 किलोमीटर पहले ही दिखेगा, जहाँ आप रूककर प्रकृति का एक अनोखा दृश्य देख सकते हैं |
कालामुनी टॉप
मुनस्यारी से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर कालामुनी टॉप स्थित है, यह स्थान समुद्रतल से 9600 फीट की ऊँचाई पर होने के कारण अन्य क्षेत्रों से अलग है तथा यहाँ का मौसम भी अन्य क्षेत्रों से अलग है | प्राकृतिक सुन्दरता से परिपूर्ण यह स्थान अपनी धार्मिक महत्ता के लिए भी प्रसिद्ध है | कालामुनी टॉप पर माँ काली को समर्पित एक प्राचीन मन्दिर है, जिसकी हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्ता है | यहाँ से पंचाचोली पर्वत अत्यधिक सुन्दर प्रतीत होता है और शरद ऋतु में यह स्थान 6-10 फीट ऊँची बर्फ से ढका रहता है, जो कि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है |
खलिया टॉप
समुद्रतल से 3500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित खालिया टॉप भ्रमण के लिए मुनस्यारी आये हुए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है | यहाँ पर पहाड़ों के छोटे-छोटे रास्तों से गुजरकर पैदल यात्रा द्वारा पहुँचा जाता है | गन्तव्य पर पहुंचकर आप पंचाचोली,हाड़ीआल, नंदादेवी तथा नंदाकोट की चोटियों के मनोरम दृश्यों को देख सकते हैं | साहसिक गतिविधियाँ करते रहने वाले पर्यटकों को यह स्थान अत्यधिक पसंद आता है, आप यहाँ टेंट इत्यादि लेजाकर कैम्पिंग का लुफ्त भी उठा सकते हैं | यदि आप फोटोग्राफी के सौकीन हैं तो यह स्थान आपके लिए किसी जन्नत से कम नहीं होगा |
मार्च से जून का समय खलिया टॉप जाने के लिए उचित समझा जाता है क्योंकि इस समय यहाँ का मौसम बहुत सुहावना रहता है | किन्तु यदि आप वर्फ का आनन्द लेना चाहते हैं तो आपको शरद ऋतु में आना होगा |
NOTE - शरद ऋतु में अत्यधिक वर्फ होने की अवस्था में सुरक्षा की दृष्टि से खलिया टॉप जाने का रास्ता बंद कर दिया जाता है |
नन्दा देवी मन्दिर
माँ नन्दा देवी को उत्तराखंड के कुमाऊँ तथा गढ़वाल दोनों ही मण्डलों में पूजा जाता है | माँ नन्दा देवी को समर्पित नन्दा देवी मन्दिर मुनस्यारी से 3 किलोमीटर की दूरी पर समुद्रतल से 7500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है | प्राचीन काल से ही माँ नन्दा देवी की पूजा अर्चना की जाती है, जिसके प्रमाण धार्मिक ग्रन्थों तथा उपनिषदों में भी मिलते हैं | नन्दाष्टमी को प्रतिवर्ष भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मुनस्यारी में विशाल मेले का आयोजन होता है, जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु पहुँचते हैं |
मुनस्यारी आने वाले पर्यटक माँ नन्दा देवी के चरणों में शीष झुकाने अवश्य आते हैं तथा माँ का आशीर्वाद पाकर प्रसन्न होते हैं | मन्दिर परिसर के साथ-साथ आस पास की सुन्दरता भी पर्यटकों के मन को मोह लेती है |
उम्मीद है कि उत्तराखंड सामान्य ज्ञान का munsiyari (मुनस्यारी) से सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आया होगा | यदि आप चाहते हैं कि उत्तराखंड से सम्बंधित हमारे सभी लेख आप तक पहुंचे तो हमसे जुड़े रहिये |
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