Panch Prayag (पंच प्रयाग) in Hindi
पवित्र नदियों के संगम पर स्थित
प्रयागों का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्त्व है |केदारखंड के अंतर्गत गढ़वाल
क्षेत्र में "पंचबदरी" तथा "पंचकेदार" की तरह ही "पंच
प्रयाग" भी सृधालु जनमानस के लिए जाना जाता है| ये पांचो प्रयाग गढ़वाल मंडल में
बद्रीनाथ मार्ग पर हैं| गढ़वाल में अलकनंदा एवं बिभिन्न नदियों के संगम पर स्थित
पंचप्रयाग विशेष महत्त्व रखते हैं, ये पंचप्रयाग हैं- विष्णुप्रयाग , नंदप्रयाग ,
कर्णप्रयाग , रुद्रप्रयाग तथा देवप्रयाग | इनमे से विष्णुप्रयाग , नंदप्रयाग तथा
कर्णप्रयाग चमोली जनपद में हैं| देवप्रयाग टिहरी गढ़वाल में स्थित है|
1. विष्णुप्रयाग
विष्णुप्रयाग
अलकनंदा तथा विष्णु गंगा नदी के तट पर है| अलकनंदा का उद्गम स्थान सतोपंथ ग्लेशियरहै | संगम के दोनों ओर जय-विजय पर्वत हैं|
विष्णुप्रयाग की समुद्र तल से ऊँचाई 1372 मीटर है| विष्णु गंगा, गंगा की सहायक नदी है तथा
इसका उद्गम स्थान धौलागिरी पर्वत श्रेणिया हैं| यहाँ के विष्णु कुंड के निकट
विष्णु का मंदिर है |
2. नंदप्रयाग
नंदप्रयाग में
अलकनंदा तथा नंदाकिनी नदियों का संगम होता है| यह नन्द प्रयाग संगम कहलाता है|
3. कर्णप्रयाग
कर्णप्रयाग
अलकनंदा तथा पिण्डर नदियों का संगम है, पिण्डर सभी प्रयागों की नदियों में से
एकमात्र ऐसी नदी है, जो कुमाऊ मंडल के पिण्डर ग्लेशियर (जनपद बागेश्वर ) से निकलती है| समुद्रतल से इसकी ऊँचाई 884 मीटर है| यह ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर है| यह स्थान राजा
कर्ण की तपस्थली भी रही है,यहाँ पर महादानी कर्ण ने सूर्य की आराधना की थी, तथा कवच
प्राप्त किया था | कर्णप्रयाग चमोली का एक प्रमुख केंद्र स्थान है, यहाँ से एक मोटर
मार्ग नंदादेवी को भी जाता है|
4. रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग
उत्तराखंड के तीर्थ केदारनाथ तथा बदरीनाथ धाम की यात्रा का मुख्य पड़ाव तथा पंच
प्रयागों में से एक प्रयाग है | अलकनंदा तथा मन्दाकिनी नदियों के संगम पर
रुद्रप्रयाग तीर्थ स्थित है| यह ऋषिकेश से 139 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है|
महाभारत काल में रुद्रप्रयाग का नाम रुद्रावत था| केदारनाथ का मुख्य मार्ग रुद्रप्रयाग
से प्रारंभ होता है | रुद्रप्रयाग से एक मोटर मार्ग केदारनाथ तथा दूसरा बद्रीनाथ
और तीसरा नागनाथ पोखरी को जाता है |
5. देवप्रयाग
देवप्रयाग
भागीरथी तथा अलकनंदा नदियों के संगम पर स्थित है , देवप्रयाग के इस संगम को सास - बहु नदियों का संगम भी
कहा जाता है | यहाँ पर भागीरथी को सास तथा अलकनंदा को बहु कहा जाता है| समुद्रतल
से देवप्रयाग की ऊँचाई 472 मीटर है| यह
ऋषिकेश-बदरीनाथ मार्ग पर स्थित है| मंदिर के पृष्ठ भाग पर शंकराचार्य गुफा है|
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देवप्रयाग - भागीरथी तथा अलकनंदा का संगम |
Question - उतराखंड में कितने प्रयाग हैं?
Answer - उतराखंड में 5 प्रयाग हैं, जिन्हें पंच प्रयाग कहा जाता है |
Question- प्रयाग का अर्थ क्या होता है ?
Answer- दो नदियों का संगम तथा जहाँ पर बहुत सारे यज्ञ हुए हों, प्रयाग कहलाता है
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2 टिप्पणियां
Nice post
जवाब देंहटाएंKeep it up
Very good and vast information
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